साल 1950 में संविधान सभा ने ‘वंदे मातरम्’ को भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया। शुरू में ‘वंदे मातरम्’ की रचना स्वतंत्र रूप से की गई थी और बाद में इसे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय…

यूं बनी ‘नाच न जाने, आंगन टेढ़ा’ की कहावत...

विरासतपरस्ती और जमींदारी ने लोकतंत्र को बनाया गिरवी

लोकतंत्र की वर्तमान उदासी और युवाओं की सियासत से दूरी

शहर की सड़कों पर साइकिल के नहीं बची है जगह…!

रफ्तार के पुजारी पैदल चलने वालों की नहीं सुनते!































